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Updated August 7th, 2020 at 17:32 IST

कभी नहीं सुना था कि एक पार्टी विदेशी सरकार के साथ डील साइन करती है: SC में कांग्रेस-चीन डील पर CJI ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 2008 के समझौते पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।

Reported by: Gaurav Kumar
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 2008 के समझौते पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने पूछा, "कांग्रेस ने 2008 में चीन के साथ समझौता कैसे किया?" उन्होंने कहा कि कोर्ट ने एक विदेशी सरकार और एक राजनीतिक दल के बीच समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए "कभी नहीं सुना" है।

सुप्रीम कोर्ट, सीक्रेट डील पर वकील शशांक शेखर झा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता इस पूरे मामले में एनआईए/सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि इस डील को कांग्रेस ने तब साइन किया था जब वो केंद्र में सत्ता में थे, जिसका अर्थ यह भी है कि पार्टी को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी तक पहुंच थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है।


सेवियो रोड्रिग्स, जो शशांक के साथ याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए कहा, "कांग्रेस ने इस समझौता ज्ञापन को सार्वजनिक क्यों नहीं किया और सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्कुल सही कहा। कांग्रेस को इस सौदे को सार्वजनिक करने की आवश्यकता है। अगर इसके बारे में कुछ भी छिपाना नहीं है तो इसे सार्वजनिक करने से क्यों डर रहे हैं।"

MoU को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर बोला हमला

राहुल गांधी पर “राष्ट्र को विभाजित करने” और महत्वपूर्ण परिस्थितियों के दौरान सशस्त्र बलों को “विभाजित” करने का आरोप लगाते हुए, जून के महीने में BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पार्टी हमला बोला था। 

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था कि कांग्रेस और CPC (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना) के बीच क्या रिश्ता है। दोनों के बीच कौन सा MoU साइन हुआ है, ये देश की जनता जानना चाहती है।

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा था, 'चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2004 में 1.1 अरब डॉलर का था जो बढ़कर 2013-14 में 36.2 अरब डॉलर हो गया, क्या इसके एवज में कांग्रेस को लाभ मिला। RGF ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टेक्ट के साथ मिलकर काम किया। इसका उद्देश्य घुसपैठ करना और अन्य देशों के नेताओं की आवाज़ को प्रभावित करना था। यह हमारे देश के नीति निर्माताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था।'

बता दें, ये समझौता कथित रुप से कांग्रेस और सीपीसी के बीच उच्च-स्तरीय सूचना और सहयोग का आदान-प्रदान करने के अलावा दोनों पक्षों को "महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर एक-दूसरे से परामर्श करने का अवसर" प्रदान करने से संबंधित है।

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Published August 7th, 2020 at 17:32 IST

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